मुंबई, 20 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ईरान और इजराइल के बीच जारी सैन्य संघर्ष अब एक गंभीर आर्थिक संकट का रूप ले चुका है। इजराइल के पूर्व रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल रीम एमीनाक के अनुसार, इजराइल हर दिन इस युद्ध को लड़ने में करीब 725 मिलियन डॉलर यानी लगभग 6,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। इस खर्च में मिसाइल, जेट ईंधन, बमबारी और सैनिकों की तैनाती जैसी सीधी लागतें शामिल हैं, जबकि सार्वजनिक ढांचे को हुए नुकसान और देश की उत्पादन क्षमता में आई गिरावट को भी जोड़ा जाए तो असली खर्च कहीं अधिक हो सकता है। 13 जून को ईरान पर किए गए हमले के शुरुआती दो दिनों में ही इजराइल ने करीब 1.45 अरब डॉलर यानी 12,500 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। इसमें लगभग 5,000 करोड़ रुपये सिर्फ बमबारी और जेट ईंधन में लगे, बाकी रक्षा संचालन में खर्च हुए। इस युद्ध से इजराइल के आर्थिक हालात पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इजराइली वित्त मंत्रालय ने पहले 2025 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 4.3% आंका था, जिसे अब घटाकर 3.6% कर दिया गया है।
इससे भी ज्यादा चिंता की बात बजट घाटे को लेकर है। पहले जहां जीडीपी का 4.9% यानी करीब 27.6 अरब डॉलर बजट घाटा तय किया गया था, अब उस आंकड़े के और बढ़ने की संभावना है। यह आकलन युद्ध शुरू होने से पहले का था। इजराइल का रक्षा बजट पहले ही गाजा युद्ध में काफी खप चुका है और अब युद्ध के ताजा मोर्चे ने इसकी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। 2023 में इजराइल का रक्षा बजट 15 अरब डॉलर था, जो अब 2025 तक बढ़कर 31 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह जीडीपी का लगभग 7% है, जो वैश्विक स्तर पर यूक्रेन के बाद सबसे ज्यादा है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि रक्षा पर इतना भारी खर्च स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अहम क्षेत्रों की वित्तीय जरूरतों को प्रभावित कर सकता है। इस संकट से उबरने के लिए इजराइल अमेरिका की मदद पर निर्भर है। अब तक ईरान 400 से ज्यादा मिसाइलें दाग चुका है, जबकि इजराइल ने 120 लॉन्चिंग साइट्स को तबाह करने का दावा किया है। मगर इजराइल का डिफेंस सिस्टम अब थकने लगा है। अमेरिका से नई सुरक्षा प्रणालियों की उम्मीद की जा रही है, साथ ही इजराइल अमेरिका से मिलने वाले फंड में इजाफा भी मांग सकता है। फायर पावर वेबसाइट के अनुसार अमेरिका हर साल इजराइल को आयरन डोम और एयरो डिफेंस सिस्टम के लिए लगभग 4,500 करोड़ रुपये की मदद देता है। इसके अलावा, अमेरिका इजराइल को सैन्य मदद के रूप में लगभग 30,000 करोड़ रुपये अलग से देता है, जिसे ‘इजराइल फंड’ कहा जाता है।